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Mahindra की Scorpio अगले साल होगी लॉन्च, यहां जानें दाम और फीचर्स

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Advertisement HomeGallery Hindi Mahindra की Scorpio अगले साल होगी लॉन्च, यहां जानें दाम और फीचर्स Mahindra की Scorpio अगले साल होगी लॉन्च, यहां जानें दाम और फीचर्स By Avinash Rai | Updated: August 30, 2021 9:04 AM IST Subscribe to Notifications 1/8 मशहूर कार निर्माता कंपनी महिंद्रा की नई Mahindra Scorpio जल्द ही लॉन्च हो सकती है. हालांकि कंपनी द्वारा अबतक इसके फीचर्स के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है 2/8 लेकिन बीते समय में कई स्पाई शॉट्स में देखी गई तस्वीरों के मुताबिक नए स्कॉर्पियों के फीचर्स और तकनीक में बदलाव किया जा सकता है. साथ नई स्कॉर्पियों एक्सटर्नल और इंटरनल बदलावों के साथ एक जनरेशन में पेश होने वाली है. 3/8 दूसरे जनरेशन की महिंद्रा स्कॉर्पियों की टेस्टिंग कुछ समय पहले ही पूरी हुई है. इसके प्रोटोटाइप को नए एलईडी डे टाइम रनिंग लाइट्स के साथ डिजाइन किए गए हैं. 4/8 वहीं कार में डिटेल्ड सेंट्रल एयर इनलेट्स, अपडेटेड बंपर, फॉग लैंप्स, हेडलैंप्स दिए गए हैं. वहीं कार में एक बड़ा केबिन मिलने की संभावना है. साथ ही रियर में टेल लैंप और अपडेटेड बंपर दिया जाएगा. 5/8

सफलता की कुंजी

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संघर्ष करना ही सफलता ही कुंजी है। कर्म करना ही,परिश्रम की पूंजी है।। उत्साह भरी आशाएं, हरपल होनी चाहिए। करे स्पर्श न निराशाएं मधुमय जीवन बनाइए ।। शक्तिपुंज हो ह्रदय में, ऐसा दीप जलाइये। आत्मनिर्भता जन-जन में, ऐसा उल्लास जगाइये।। कर्म करना छोड़ कर, भाग्य के बल मत जिये। भविष्य उज्जवल के लिए, कर्म करके देखिए।। कर्म ही पूजा है, कर्म ही है खुदा। कर्म ही शक्ति है, जिससे नहीं जुदा।। असफलता से घबरा, दूर मत भागिये। सफलता हेतु, प्रयत्न करना चाहिए।। भाग्य यूँ बदल जायेगा, इरादों पे भरोसा कीजिये। दूसरों की प्रगति देख, स्वयं उन्नति कीजिये ।। डागर -डागर, बाट- बाट, कदम मिलाते जाइये। हर. कदम पे एक मुसाफिर , ‌ सफर करता पाइये ।। कर्तव्य पथ से मुख न मोड़ो, जीवन से नाता जोड़ो। मन्दिर- मस्जिद मत तोड़ो, ऊँच- नीच की दीवारें तोड़ो।। दुशमनी की जड़ो को , उखाड़ फेंको । मित्रता का हाथ जोड़ो, ऐ मेरे दोस्तों ! दोस्ती मत छोड़ो।10। मुकेश कुमार हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।

कविता - बसंती हवा

हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ। सुनो बात मेरी - अनोखी हवा हूँ। बड़ी बावली हूँ, बड़ी मस्तमौला। नहीं कुछ फिकर है, बड़ी ही निडर हूँ। जिधर चाहती हूँ, उधर घूमती हूँ, मुसाफिर अजब हूँ। न घर-बार मेरा, न उद्देश्य मेरा, न इच्छा किसी की, न आशा किसी की, न प्रेमी न दुश्मन, जिधर चाहती हूँ उधर घूमती हूँ। हवा हूँ, हवा मैं बसंती हवा हूँ! जहाँ से चली मैं जहाँ को गई मैं - शहर, गाँव, बस्ती, नदी, रेत, निर्जन, हरे खेत, पोखर, झुलाती चली मैं। झुमाती चली मैं! हवा हूँ, हवा मै बसंती हवा हूँ। चढ़ी पेड़ महुआ, थपाथप मचाया; गिरी धम्म से फिर, चढ़ी आम ऊपर, उसे भी झकोरा, किया कान में 'कू', उतरकर भगी मैं, हरे खेत पहुँची - वहाँ, गेंहुँओं में लहर खूब मारी। पहर दो पहर क्या, अनेकों पहर तक इसी में रही मैं! खड़ी देख अलसी लिए शीश कलसी, मुझे खूब सूझी - हिलाया-झुलाया गिरी पर न कलसी! इसी हार को पा, हिला

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